अच्छी खबरः 15 साल से कम उम्र के बच्चों में कोरोनावायरस का खतरा बहुत कम, वैज्ञानिकों ने बताया कारण

चीन के वैज्ञानिकों ने पाया है कि 15 साल की उम्र से कम के बच्चों में नए प्रकार के कोरोनावायरस (coronavirus) के संक्रमण का खतरा कम है। चीन में कोरोनावायरस (coronavirus) अब तक 565 लोगों की जान ले चुका है। वैज्ञानिकों ने  चीन के वुहान शहर में 2019 कोरोनावायरस के पहले 425 मामलों का अध्ययन किया है। एक विशेष कार्यक्रम के तहत पीड़ितों के कॉन्टेक्ट, वायरस के रूप, लक्षण के समय और बीमार होने से दो सप्ताह पहले वे किस जगह पर गए थे, इसकी जानकारी ली गई थी।





वैज्ञानिक इस वायरस का मुकाबला करने के लिए प्रमुख गतिविधियों के साथ डिजिटल प्रोसेसिंग का सहारा ले रहे हैं ताकि इस महमारी को खत्म करने का तरीका खोजा जा सके। जेएएमए नेटवर्क में प्रकाशित एक नई रिपोर्ट के मुताबिक, बच्चों में कोरोनावायरस के मामले बहुत ही दुर्लभ है।


वैज्ञानिकों ने पाया कि वे लोग, जो संक्रमित हुए उनमें से 95 फीसदी को पहला लक्षण 12 दिनों में दिखाई दिया। जबकि औसत इनक्युबेशन पीरियड 5.2 दिन का है। इसके साथ ही हर 7.4 दिन में शुरुआती चरण के संक्रमण से पीड़ित मरीजों की संख्या दोगुनी पाई गई। इसके बाद इस संक्रमण के फैलने की दर धीमी हुई।


वुहान में 15 साल से कम उम्र का कोई भी बच्चा कोरोनावायरस से पीड़ित नहीं है। दरअसल बच्चे रोशनी के रूप में कोरोनावायरस के संचरण के संपर्क में कम आते हैं। वहीं 49 से 56 साल के आस-पास के लोगों में इस संक्रमण के फैलने का खतरा अधिक है। इसके साथ ही कोरोनावायरस संक्रमण से पीड़ित होने वाले में  59 फीसदी पुरुष हैं। चीनी डॉक्टर रिचर्ड मैरटिनेल्लो का कहना है, '''हमें बीजिंग और जर्मनी में बच्चों में संक्रमण का सिर्फ एक मामला मिला है। ऐसा लगता है कि ये वायरस सिर्फ व्यस्कों पर ही हमला करता है लेकिन हम अभी भी नहीं कह सकते हैं कि ऐसा क्यों है। हालांकि हमें बच्चों के अस्पतालों से किसी प्रकार का डेटा नहीं मिला है, इसलिए तस्वीर पूरी तरह से साफ नहीं हो पाई है।''


वहीं रिपोर्ट के मुख्य लेखक डॉ. कार्लोस डेल रियो का कहना है कि इस वक्त बच्चें इस संक्रमण से कम प्रभावित क्यों हैं ये कल्पना से परे है।


डॉक्टर ने कहा कि आमतौर पर ये संक्रमण आपके फेफड़ों को प्रभावित करता है, जैसे निमोनिया और फ्लू। आप ये जानते होंगे कि ये व्यस्कों में अधिक गंभीर हो जाता है खासकर ये उन लोगों में गंभीर स्थिति धारण कर लेता है, जो फेफड़ों से संबंधित समस्याओं का शिकार होते हैं।